" सच चटक चुका हूँ मैं " , आईना ये बोलता ।।
" ख़ूब छक चुका हूँ मैं " , आईना ये बोलता ।।
सबके हू ब हू दिखा , अक़्स रोज़-रोज़ अब ;
" हाय ! थक चुका हूँ मैं " , आईना ये बोलता ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
दर्पण झूठ न बोले ...
बहुत सुन्दर ..
धन्यवाद । Kavita Rawat जी ।
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