Saturday, April 11, 2015

मुक्तक : 696 - मौसम बर्फ़बारी का




अदा से , नाज़ से , अंदाज़ से , हक़ से , क़रीने से ॥
टिका रक्खा था उसने अपने सर को मेरे सीने से ॥
यक़ीनन वादियों में था वो मौसम बर्फ़बारी का ,
मगर उस वक़्त लथपथ हो रहा था मैं पसीने से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



2 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर..

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Kailash Sharma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...