कवच
होते हैं वार से बचने को ,
मरीजों के लिए होते हैं –
डॉक्टर
,
अपराधों की रोकथाम अथवा
न्याय के लिए हैं –
पुलिस और अदालतें
बिगड़ों के लिए सुधारक
अज्ञानियों हेतु –
स्कूल और कॉलेज
यह लिस्ट
और भी लंबी खींची जा सकती है -
किन्तु
मेरा सिर्फ इतना कहना है कि
हम क्यों
यह चाहते हैं कि
वार न हों ,
रोग न हों ,
अपराध न हों.......आदि-आदि ?
सोचिए
!
क्या
इससे बेरोज़गारी और न बढ़ जाएगी ?
कवच कौन खरीदेगा ?
डॉक्टर किसका उपचार करेंगे
?
मेडिकल स्टोर ठप्प पड़ जाएंगे ,
पुलिस महकमा बंद करना पड़ेगा ,
अदालतों में जज किसको न्याय देंगे
?
सुधारक किसे उपदेश देंगे.........इत्यादि ?
लब्बोलुआब
यह कि
हम क्यों
फटे में टाँग अड़ाएँ ?
संसार
जैसा चल रहा है चलने दें ।
बस बेकार
न रहें , निकम्मे न बैठे दिखें
क्योंकि
सारे
फ़साद की जड़ है फ़ुर्सत ।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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