Wednesday, April 29, 2015

मुक्तक : 704 - सचमुच आरामदेह है



नर्म गद्दे पे छाई नर्म रेशमी चद्दर ।।
सचमुच आरामदेह है बहुत मेरा बिस्तर ।।
चूर थककर हूँ नींद भी भरी है आँखों में ,
फिर सबब क्या है जो मैं बदलूँ करवटें शब भर ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...