Thursday, April 9, 2015

मुक्तक : 694 - बेपेंदी का लोटापन ॥



खरे-खरे दिखने वालों में दिखा मुझे इक खोटापन ॥
बड़े-बड़ों में प्रायः पाया बड़ा-बड़ा सा छोटापन ॥
कुआँ ,सरोवर ,झील ,नदी से लगा करें जो बाहर से ,
उन्हीं में खाली बेपेंदी का भरा हुआ घन लोटापन ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...