Tuesday, April 7, 2015

मुक्तक : 692 - मेरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा नहीं




मेरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा नहीं पर इसमें क्षण-क्षण ॥
देखूँ जब दिखलाए मुझको अक्स में मेरे अकर्षण ॥
इसलिए तो सच्चे जग में प्राणप्रिय मुझको लगे ये ,
मेरा धुँधला-टूटा-झूठा-चापलूसी करता दर्पण ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...