Wednesday, April 8, 2015

मुक्तक : 693 - कौन विहग दूँ भेंट तुझे ?



कौन विहग दूँ भेंट तुझे जब मन ख़याल लाया ।।
मोर , पपीहा छोड़ सभी खग मैं मराल लाया ।।
पुष्प समर्पित करने स्वयं जा बीच ताल से कुछ ,
नीलकमल ,श्वेत उत्पल के सँग पद्म लाल लाया ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...