Tuesday, April 21, 2015

मुक्तक : 702 ( ( B ) - ये पचहत्तरवाँ साल है ॥




वज़्नी ज़ईफ़ी में भी जवाँ ये मलाल है ॥
उनसे जुदाई का ये पचहत्तरवाँ साल है ॥
इस सिन में और कुछ न रहे याद पर उनका ,
हर वक़्त जेह्नो दिल में बराबर ख़याल है ॥
( वज़्नी ज़ईफ़ी=भारी बुढ़ापा ,मलाल=दुःख ,सिन=उम्र )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति




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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...