Sunday, April 26, 2015

मुक्तक : 703 ( B ) - तन-मन में भर दे आग


अधि ,अद्वितीय ,अति अतुल्य ,अरु अनूप से ॥
तन-मन में भर दे आग ऐसे त्रिय-स्वरूप से ॥
स्वस्तित्व को बचाने बर्फ़-ब्रह्मचारियों ,
बचना सदैव जलती-चिलचिलाती धूप से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...