Wednesday, April 15, 2015

मुक्तक : 698 - मैं फ़क़ीर हुआ ॥


वो मुझसे तब कहीं ज़रा असर-पज़ीर हुआ ॥
अमीर-ऊमरा से जबकि मैं फ़क़ीर हुआ ॥
किया तभी है उसने मुझको दिल में क़ैद अपने ,
जब उसकी ज़ुल्फ़ का मैं बेतरह असीर हुआ ॥
( असर-पज़ीर=प्रभावित ,अमीर-ऊमरा=धनवान ,असीर=क़ैदी )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...