कभी जो बर्फ़ में फ़ौलाद मोम सा पिघले ।।
ग़ज़ाल शेर को ज़िंदा पटक उठा निगले ।।
भुला चुका हूँ उन्हें तुम ये मानना उस दिन ,
कि मेरी आँख से जिस दिन भी दर्या ना निकले ।।
( ग़ज़ाल=हिरण का बच्चा , दर्या=नदी )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
बहुत खूब!
धन्यवाद ! Kavita Rawat जी !
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