कि कितनी मुद्दतों से अब तलक
भी दम बदम अटका ॥
बढ़ा मुझ तक कहाँ जाकर तेरा पहला
क़दम अटका ?
तू जैसे भी हो आ जा देखने दिल
से निकल अपलक ,
तेरे दीदार को मेरी खुली आँखों
में दम अटका ॥
( दम बदम=निरंतर , दीदार=दर्शन , अपलक=बिना
पलक झपके ,दम=प्राण )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
वाह..बहुत सुन्दर
धन्यवाद ! Kailash Sharma जी !
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