Saturday, November 1, 2014

मुक्तक : 628 - ऊल कुछ कुछ जुलूल


ऊल कुछ कुछ जुलूल लगती हैं ॥
कुछ सरासर फ़िजूल लगती हैं ॥
उनको सब ही सही-सही मेरी ,
बातें गलती से भूल लगती हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...