दिल-दिमाग़ कई-कई दिन झगड़े-लड़े मगर
॥
इश्क़ न करने की ज़िद पर ख़ूब अड़े मगर
॥
ना-ना करते-करते प्यार के मक्खन
में ,
अज सर ता पा दोनों आख़िर गड़े मगर
॥
(अज सर ता पा = सिर से पाँव तक )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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