Tuesday, November 4, 2014

मुक्तक : 475 - अब मैं मल्हार


अब मैं मल्हार ; दीप-राग में बदल गया ॥
ठस बर्फ़ से पिघलती आग में बदल गया ॥
जज़्बात का रहा न तब से काम दोस्तों ,
सीने में जब से दिल दिमाग़ में बदल गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...