Saturday, November 8, 2014

मुक्तक :633 - जब पूरी पाई


जब पूरी पाई ना आध ॥
थी जिसकी वर्षों से साध ॥
इस कारण कर बैठा हाय ,
उसकी हत्या का अपराध ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...