सिर्फ़ होती है ख़ता या कि भूल
होती है ॥
ये नगीना नहीं ये ख़ाक-धूल होती
है ॥
मैंने माना कि मोहब्बत में तू
हुआ है फ़ना ,
फिर भी मत कह कि मोहब्बत फ़िजूल
होती है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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