Wednesday, November 26, 2014

मुक्तक : 646 - अपना दूध–दही


अपना दूध - दही गाढ़ा औरों का पनीला बोलेगा ॥
अपनी सब्ज़ी का रंग हरा शेष का पीला बोलेगा ॥
अपने कंठ को बेचने की दूकान लगाए तो निस्संशय ,
अपना स्वर प्रत्येक गधा कोयल से सुरीला बोलेगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...