Friday, November 14, 2014

मुक्तक : 638 - गर्मी में बरसात


गर्मी में बरसात हो जाये ॥
मँगते की ख़ैरात हो जाये ॥
वीराँ में तुझसे जो मेरी सच ,
कुछ अंदर की बात हो जाये ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...