Wednesday, November 19, 2014

मुक्तक : 642 - मेरे समझाने का

मेरे समझाने का अंदाज़-ओ-अदा समझे न वो ॥
चीख़ती ख़ामोशियों की चुप सदा समझे न वो ॥
बेवजह हँस-हँस के उनसे बातें क्या बेबात कीं ,
मैं नहीं रोया तो मुझको ग़मज़दा समझे न वो ॥-
डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...