Thursday, October 30, 2014

मुक्तक : 627 - हो जाए न सुन


हो जाए न सुन चेहरा ज़र्द सुर्ख़-सब्ज़ भी ॥
थम जाए चलते-चलते यकायक न नब्ज़ भी ॥
मेरे तो सामने न इसका नाम लीजिए ,
मुझको है खौफ़नाक क़यामत का लफ़्ज़ भी ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...