Thursday, October 16, 2014

मुक्तक : 619 - ख़ाक में रख दूँ न मैं


ख़ाक में रख दूँ न मैं तेरी मिलाकर धाक-नाक ॥
बल्कि डरता हूँ न कर डालूँ मैं तुझको चाक-चाक ॥
सोचता हूँ जब करे तौहीन तू यारों के बीच ,
जब उड़ाता है मेरी बेताक़ती का तू मज़ाक ॥
[ ख़ाक=मिट्टी ,धाक=प्रसिद्धि ,नाक=सम्मान ,चाक-चाक=टुकड़े-टुकड़े ,बेताक़ती=शक्तिहीनता ]
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...