ख़ाक में रख दूँ न मैं तेरी मिलाकर धाक-नाक ॥
बल्कि डरता हूँ न कर डालूँ मैं तुझको चाक-चाक ॥
सोचता हूँ जब करे तौहीन तू यारों के बीच ,
जब उड़ाता है मेरी बेताक़ती का तू मज़ाक ॥
[ ख़ाक=मिट्टी ,धाक=प्रसिद्धि ,नाक=सम्मान ,चाक-चाक=टुकड़े-टुकड़े ,बेताक़ती=शक्तिहीनता ]
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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