Monday, October 20, 2014

मुक्तक : 624 - किस रोज़ उसके वास्ते


किस रोज़ उसके वास्ते मैंने न की दुआ ?
कब आस्ताना रब का न उसके लिए छुआ ?
जो चाहता था बनना वो बन भी गया मगर ,
पहले वो मेरा दोस्त था अब अजनबी हुआ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...