Wednesday, October 8, 2014

मुक्तक : 611 - मेरे गले में झूम के


मेरे गले में झूम के लूमा ज़रूर था ॥
घण्टों वो मेरे साथ में घूमा ज़रूर था ॥
लब ना लबों से अपने मेरे उसने थे छुए ,
लेकिन मुझे अकेले में चूमा ज़रूर था ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

बहुत खूब ...!!

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Lekhika M Shlok जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...