इक चिनगी एक सूखते जंगल की आग सा
॥
इक चींटी एक काले ख़तरनाक नाग सा
॥
दोनों में कुछ मुक़ाबला ठहराना गलत
है ,
इक आफ़्ताब है तो इक फ़क़त चिराग सा
॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
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