Tuesday, October 14, 2014

मुक्तक : 617 - उसकी हसीन शक्ल


उसकी हसीन शक्ल दिल को लूट न जाती !
हाथ आते-आते वो छिटक के छूट न जाती !
बनते ही बनते मेरी ज़िंदगानी फ़लक से ,
शीशे सी गिर ज़मीं पे टूट-फूट न जाती !
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

ज़बरदस्त

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Lekhika Pari M Shlok जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...