Sunday, October 5, 2014

मुक्तक : 608 - याद के शोलों में


याद के शोलों में ख़ुद को , फूँकता है आज भी ॥
तू नहीं फिर भी तुझे दिल , ढूँढता है आज भी ॥
जाते-जाते वो तेरा मुझको बुलाना चीखकर ,
रात-दिन कानों में मेरे , गूँजता है आज भी ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...