Sunday, October 19, 2014

मुक्तक : 623 - जाने किन ऊँचाइयों से


जाने किन ऊँचाइयों से गिर पड़ा है ?
उठके भी ताले सा मुँह लटका खड़ा है ॥
और सब सामान्य है पर देखने में ,
पूर्ण जीवित भी वो लगता अधमड़ा है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...