Friday, October 10, 2014

मुक्तक : 613 - मोमी तो अश्क़


मोमी तो अश्क़ दरिया से बहा गए थे सच ॥
पत्थर की आँखों में भी अब्र छा गए थे सच ॥
इतनी थी उसकी दर्दनाक दास्ताँ कि सुन ,
दुश्मन के भी कलेजे मुँह को आ गए थे सच ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...