Saturday, October 18, 2014

मुक्तक : 621 - जितना तू चाहे


जितना तू चाहे सनम तक़्सीम कर ॥
चाहे ज़्यादा चाहे कम तक़्सीम कर ॥
बस मेरी बरदाश्त के मद्देनज़र ,
गर तुझे करना है ग़म तक़्सीम कर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...