Sunday, May 1, 2016

मुक्तक : 827 - किंचित बड़े न बोल ॥




मुँह से कभी निकालता किंचित बड़े न बोल ॥
करता नहीं हूँ मैं कभी भी बात गोल-मोल ॥
रखता हूँ अपना एक-इक डग भी मैं फूँक-फूँक ,
कहता हूँ वाक्य-वाक्य में मैं शब्द तोल-तोल ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...