Friday, May 27, 2016

*मुक्त-मुक्तक : 841 - तलाशना हमें बहारों में ॥



मत खुले में तलाशना हमें बहारों में ॥
ढूँढना पत्थरों के ऊँचे कारागारों में ॥
सिर्फ़ इक भूल का अंजाम भोगने को खड़े ,
हम ख़तरनाक गुनहगारों की कतारों में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...