Tuesday, May 10, 2016

मुक्तक : 831 - रक्त का चूषक



स्वच्छ-कर्ता को महा दूषक बना देता ॥
दुग्धप्रिय को रक्त का चूषक बना देता ॥
सिर-मुकुट को पाँव की चप्पल बना डाले ,
काल क्षण में हस्ति को मूषक बना देता ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...