Monday, May 2, 2016

मुक्तक : 828 - अजगर बड़ा ॥



एक चूहे के लिए छोटा सा भी अजगर बड़ा ॥
ज्यों किसी हाथी को भी हो शेर-ए-बब्बर बड़ा ॥
ख़ूब सुन-पढ़ के भी जो हमने कभी माना नहीं ,
इश्क़ में पड़कर वो जाना , है ये गारतगर बड़ा ॥
( शेर-ए-बब्बर = बब्बर शेर , गारतगर = विनाश करने वाला )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...