Tuesday, May 3, 2016

मुक्तक : 829 - मान जाना रे.....



मान जाना रे किसी दिन न भी मनाने पर ॥
ख़ुद चले आना रे मेरे न भी बुलाने पर ॥
कम से कम तब तो मेरी बात मान जाना रे ,
जब पहुँच जाऊँ रे मैं क़ब्र के मुहाने पर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...