Wednesday, August 19, 2015

मुक्तक : 754 - घिसी-पिटी, ज़बीं ॥



[ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ]

बदसूरती नज़र कहीं भी आएगी नहीं ॥
चिकनी लगेगी खुरदुरी घिसी-पिटी, ज़बीं ॥
चेचक , मुँहासे , मस्से कुछ नज़र न आएँगे ,
चढ़कर के आस्माँ से झाँकिए अगर ज़मीं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...