Tuesday, August 11, 2015

मुक्तक : 748 - प्रभु-भक्ति है अकारथ







कुछ पाँव-पाँव तो कुछ गाड़ी से या चढ़े रथ ॥
सब धाम घूम आए , कर डाले सारे तीरथ ॥
पाया यही कि केवल प्रभु-भक्ति है अकारथ ,
होते यथार्थ कर्मों से ही सफल मनोरथ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...