Monday, August 3, 2015

मुक्तक : 740 - जो बचा लेता ॥


टूटने - गिरने बिखरने से जो बचा लेता ॥
आँधियों में भी उजरने से जो बचा लेता ॥
उसको बोलूँ न ख़ुदा तो मैं और क्या बोलूँ ?
पीलूँ ज़हराब तो मरने से जो बचा लेता ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...