Friday, August 7, 2015

मुक्तक : 744 - नहीं चाहता हूँ ॥



[ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ] 
न सचमुच जहाँ के तहीं चाहता हूँ ॥
कहीं और भी मैं नहीं चाहता हूँ ॥
न जन्नत न दोज़ख में रहने की ख़्वाहिश ,
जहाँ वो रहें घर वहीं चाहता हूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...