Monday, August 10, 2015

मुक्तक : 747 - आम होके रोते हैं ॥




नामवर मुफ़्त में बदनाम होके रोते हैं ॥
वो बहुत ख़ास से अब आम होके रोते हैं ॥
दिल से बेवज़्ह हमारे भी खूँ नहीं रिसता ,
इश्क़ के काम में नाकाम होके रोते हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...