Sunday, May 3, 2015

मुक्तक : 706 - क़ैद-ओ-क़फ़स


मत घोंसले को क़ैद-ओ-क़फ़स का तू नाम दे ॥
मत गुफ़्तगू को तल्ख़ बहस का तू नाम दे ॥
करता हूँ मैं जो उससे दिल-ओ-जान से रे उस ,
पाकीज़ा इश्क़ को न हवस का तू नाम दे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...