Sunday, May 17, 2015

मुक्तक : 713 - मियादी सी आशिक़ी


मुझपे पहले ही ये बात उसने साफ़ कर दी थी ॥
ख़ास शर्तों पे मियादी सी आशिक़ी की थी ॥
ग़म नहीं आज अगर ग़ैर वो हुआ , उसने –
उम्र भर मेरा ही रहने की कब क़सम ली थी ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...