मुझपे पहले ही ये बात उसने
साफ़ कर दी थी ॥
ख़ास शर्तों पे मियादी सी आशिक़ी
की थी ॥
ग़म नहीं आज अगर ग़ैर वो हुआ
, उसने –
उम्र भर मेरा ही रहने की कब
क़सम ली थी ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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