Sunday, May 24, 2015

मुक्तक : 718 - बेसबब ही


निगाहों में लिए फिरते हैं उसकी शक़्ल यारों ।।
नहीं करती हमारी काम कुछ भी अक़्ल यारों ।।
किया जिस दिन से उसने बेसबब ही हमको अपने -
पकड़ के दिल में कुछ दिन रख के फिर बेदख़्ल यारों ।।
- डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...