Tuesday, May 19, 2015

मुक्तक : 714 - कच्ची मदी हूँ ॥


ओस कण दिखता हूँ पर बहती नदी हूँ ॥
रूप से अंगूर सच कच्ची मदी हूँ ॥
दृष्टिकोण अपना बदल लो पाओगे फिर ,
एक छोटा पल नहीं मैं इक सदी हूँ ॥
( मदी = शराब )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...