Monday, May 4, 2015

मुक्तक : 706 ( B ) - नुकीले-नुकीले ये काँटे


कोई करके न तरफ़दारियाँ है ये बाँटे ।।
कोई अपने ही न हाथों से ख़ुद है ये छाँटे ।।
ख़ुद-ब-ख़ुद ही ये गिरें आके नर्म-दामन में ,
बदनसीबी से नुकीले-नुकीले ये काँटे ।।
( तरफ़दारियाँ=पक्षपात, छाँटना=चुनना )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...