टिम-टिम चिराग़ एक या जुगनूँ हज़ार दो ॥
हंसों सा दो प्रकाश कि पिक-अंधकार दो ॥
वाबस्ता जो नज़र से वो किस काम का मेरे ?
अंधा हूँ मैं मुझे क्या ? दो शब या नहार दो
॥
( वाबस्ता=सम्बद्ध / नहार=प्रभात
)
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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