Saturday, April 19, 2014

मुक्तक : 529 - जब अपना ख़्वाब टूटा


जब अपना ख़्वाब टूटा बड़ा दिल का ग़म बढ़ा II
तब मरते कहकहों का यकायक ही दम बढ़ा II
जीने को और-और भी मरने लगे अपन ,
जब ज़ुल्म ज़िन्दगी पे हुआ जब सितम बढ़ा II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...