Tuesday, April 8, 2014

मुक्तक : 519 - सब ख़ुशी से दूँगा सचमुच


सब ख़ुशी से दूँगा सचमुच अपना मनमाना तो ले II
तुझको चाहा इस ख़ता का मुझसे हर्जाना तो ले II
ढूँढता हूँ तुझको अपना सर हथेली पर लिए ,
तू दे तोहफ़ा--दिलमेरा ये नज़्राना तो ले II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

2 comments:

Malhotra vimmi said...

बेहतरीन प्रस्तुति

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Malhotra Vimmi जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

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