Thursday, April 10, 2014

130 : ग़ज़ल - आतिश कभी है पानी..............




आतिश कभी है पानी ।।
ये मेरी ज़िन्दगानी ।।1।।
तुमको न लिखके रखते ,
हो याद मुँह ज़बानी ।।2।।
जो कुछ है पास अपने ,
सब रब की मेह्रबानी ।।3।।
जैसे कोई लतीफ़ा ,
ऐसी मेरी कहानी ।।4।।
ढूँढा तो सच ये पाया ,
ग़म ही है शादमानी ।।5।।
कितना सँभालिएगा ,
दौलत है आनी-जानी ।।6।।
जैसे है आया जोबन ,
पीरी भी सबको आनी ।।7।।
शुह्रत के इक सिवा सब ,
लगता है मुझको फ़ानी ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...