आतिश कभी है पानी ।।
ये मेरी ज़िन्दगानी ।।1।।
तुमको न लिखके रखते ,
हो याद मुँह ज़बानी ।।2।।
जो कुछ है पास अपने ,
तुमको न लिखके रखते ,
हो याद मुँह ज़बानी ।।2।।
जो कुछ है पास अपने ,
सब रब की मेह्रबानी ।।3।।
जैसे कोई लतीफ़ा ,
ऐसी मेरी कहानी ।।4।।
ढूँढा तो सच ये पाया ,
ग़म ही है शादमानी ।।5।।ढूँढा तो सच ये पाया ,
कितना सँभालिएगा ,
दौलत है आनी-जानी ।।6।।
जैसे है आया जोबन ,दौलत है आनी-जानी ।।6।।
पीरी भी सबको आनी ।।7।।
शुह्रत के इक सिवा सब ,
लगता है मुझको फ़ानी ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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