Thursday, April 10, 2014

मुक्तक : 522 - तल्लीन हो , तन्मय हो



( चित्र Google Search से साभार )

तल्लीन हो , तन्मय हो स्वयं को भी भूल हम ।।
पलकों से पहले चुनते थे सब काँटे-शूल हम ।।
आते थे वो जिस राह से फिर उसपे महकते ,
हाथों से बिछाते थे गुलाबों के फूल हम ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...